भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार काम कर रही है। Tata, Mahindra, Hyundai, Kia और MG जैसी कंपनियां इसमें आगे हैं। लेकिन एक रिपोर्ट में सामने आया है कि ये कंपनियां सरकारी गाड़ियों में हाइब्रिड वाहनों को शामिल करने के खिलाफ हैं।
क्या है मामला?
सरकार ने सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड में बदलने की योजना बनाई है। लेकिन Tata, Mahindra, Hyundai जैसी कंपनियों ने कहा है कि सिर्फ पूरी तरह इलेक्ट्रिक गाड़ियों को ही प्राथमिकता मिलनी चाहिए, क्योंकि हाइब्रिड गाड़ियाँ अभी भी ईंधन पर चलती हैं।
Tata Mahindra Hyundai हाइब्रिड पर आपत्ति
इन कंपनियों का कहना है कि हाइब्रिड गाड़ियाँ पूरी तरह पर्यावरण के लिए सही नहीं हैं क्योंकि वे पेट्रोल या डीजल भी चलाती हैं। अगर सरकार हाइब्रिड को सरकारी गाड़ियों में शामिल करती है, तो इससे EV उद्योग को नुकसान हो सकता है। Tata और Mahindra का पूरा ध्यान EV पर है।
सरकारी EV नीति पर सवाल
कुछ कंपनियों ने हाइब्रिड वाहनों को मिलने वाली सरकारी मदद या सब्सिडी का विरोध किया है, क्योंकि इससे EV बाजार में असमान प्रतिस्पर्धा हो सकती है। वहीं, Toyota जैसी कंपनियां चाहती हैं कि हाइब्रिड को भी EV जितना ही महत्व मिले।
क्या हो सकता है असर?
इस विरोध से सरकार की वाहन नीतियों पर असर हो सकता है। अगर हाइब्रिड को नजरअंदाज किया गया, तो उपभोक्ताओं के विकल्प कम होंगे। लेकिन अगर हाइब्रिड को बढ़ावा मिला, तो EV कंपनियों की योजना कमजोर हो सकती है।
FAQs:
Q1: सरकार सरकारी वाहनों में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक गाड़ियों को क्यों शामिल करना चाहती है?
A1: सरकार का उद्देश्य प्रदूषण कम करना और ईंधन की बचत करना है।
Q2: EV कंपनियां हाइब्रिड गाड़ियों का विरोध क्यों कर रही हैं?
A2: उनका मानना है कि हाइब्रिड गाड़ियाँ पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल नहीं हैं क्योंकि वे पेट्रोल या डीजल का उपयोग करती हैं।
Q3: हाइब्रिड वाहनों को सरकारी लाभ क्यों नहीं मिलना चाहिए?
A3: EV कंपनियों का कहना है कि इससे EV बाजार में असमान प्रतिस्पर्धा होगी और इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को नुकसान होगा।